आज के समय में बिज़नेस करने के दो मुख्य तरीके हैं – ऑफलाइन (पारंपरिक) और ऑनलाइन (डिजिटल)। दोनों के अपने-अपने फायदे और सीमाएं होती हैं, लेकिन इनका फर्क समझना हर बिज़नेस मालिक के लिए ज़रूरी है।
ऑफलाइन बिज़नेस सिर्फ स्थानीय ग्राहकों तक सीमित रहता है। ग्राहक को खुद दुकान तक आना पड़ता है। ऑनलाइन बिज़नेस देश-दुनिया में कहीं भी पहुंच सकता है। एक वेबसाइट या ऐप से ग्राहक घर बैठे ऑर्डर कर सकता है।
ऑफलाइन बिज़नेस फिक्स समय पर चलता है, जैसे सुबह 10 से रात 8 बजे तक। ऑनलाइन बिज़नेस 24/7 चलता है। ग्राहक कभी भी खरीदारी कर सकता है — चाहे रात हो या छुट्टी।
ऑफलाइन में दुकान किराया, बिजली, स्टाफ आदि में ज्यादा खर्च होता है। ऑनलाइन में वेबसाइट, होस्टिंग और डिजिटल टूल्स पर कम खर्च होता है।
4. ग्राहक का अनुभव (Customer Experience):
ऑफलाइन में ग्राहक प्रोडक्ट को हाथ से देख-समझ सकता है। ऑनलाइन में ग्राहक रिव्यू, फोटो और वीडियो देखकर फैसला करता है, और घर बैठे डिलीवरी पाता है।
ऑफलाइन बिज़नेस में पंपलेट, पोस्टर, और मुँहजबानी प्रचार किया जाता है। ऑनलाइन बिज़नेस में सोशल मीडिया, SEO, गूगल ऐड्स जैसे डिजिटल टूल्स का उपयोग होता है।
ऑफलाइन में अनुमान के आधार पर बिक्री और ग्राहकों का विश्लेषण होता है। ऑनलाइन में आप हर क्लिक, ऑर्डर और विज़िटर की जानकारी ट्रैक कर सकते हैं।
ऑफलाइन बिज़नेस की ग्रोथ धीरे होती है और भौगोलिक रूप से सीमित रहती है। ऑनलाइन बिज़नेस बहुत तेज़ी से बढ़ सकता है और दुनिया भर के ग्राहकों को टारगेट कर सकता है
ऑफलाइन बिज़नेस आज भी काम करता है, खासकर जब व्यक्तिगत संपर्क ज़रूरी हो। लेकिन ऑनलाइन बिज़नेस कम खर्च में, तेज़ रफ़्तार से, बड़ी मार्केट तक पहुंच कर आपको तेजी से ग्रोथ दे सकता है। स्मार्ट बिज़नेस वही है जो दोनों का सही संतुलन बनाकर आगे बढ़े।
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